पटना, बिहार
जब किसी गरीब परिवार का बेटा अपनी मेहनत, तपस्या और समाज सेवा की भावना से न्याय व्यवस्था में एक प्रतिष्ठित नाम बन जाता है, तो वो केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है। Advocate Saurabh Mishra की कहानी ठीक ऐसी ही है — एक ब्राह्मण गरीब परिवार से निकलकर देश के प्रतिष्ठित आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ और समाज के वंचित वर्ग के लिए न्याय का प्रहरी बनने तक की अद्वितीय यात्रा।

13 वर्षों की अदम्य संघर्ष गाथा

बिहार के पटना, मधुबनी और दरभंगा में सक्रिय अधिवक्ता Saurabh Mishra पिछले 13 वर्षों से आपराधिक मामलों में विशेष विशेषज्ञता रखते हैं। उन्होंने कई जटिल आपराधिक मामलों को संभाला है, जिनमें से अनेक ने समाज में बड़ा संदेश दिया। लेकिन उनकी सबसे खास बात यह है कि वे गरीबों के केस — विशेष रूप से महिलाओं के लिए — नि:शुल्क लड़ते हैं।

उनका मानना है, “न्याय पर किसी एक वर्ग का अधिकार नहीं, यह हर ज़रूरतमंद का हक है।” यही सोच उन्हें आम अधिवक्ताओं से अलग करती है।

डिग्रियों से नहीं, सोच से बने हैं महान

Saurabh Mishra केवल एक वकील नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले विधि विशेषज्ञ हैं। उन्होंने क्रिमिनल साइकोलॉजी, मनोविज्ञान और अपराध शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल प्रतिष्ठा पुरस्कार सहित 20 से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

उनकी गहराई से की गई रिसर्च और मानवीय दृष्टिकोण अपराधियों की मानसिकता को समझने में उन्हें अन्य वकीलों से एक कदम आगे रखता है। न्यायपालिका और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान बनी हुई है।

परिवार के बलिदान और समर्थन से बना मजबूत कंधा

Saurabh Mishra कभी भी अपने संघर्ष को नहीं भूलते। उनका कहना है कि “मैंने आज तक कभी जीवन का आनंद नहीं लिया, सिर्फ़ मेहनत की है — ताकि अपने परिवार की स्थिति और पहचान बदल सकूं।”

उनकी मां मेघा देवी का त्याग और उनकी पत्नी शोभा सिंह का सतत समर्थन हमेशा उनके साथ रहा। वे कहते हैं, “मेरी सफलता मेरे परिवार की तपस्या का ही परिणाम है।”

सहज स्वभाव, गहरी सोच

भले ही आज वे एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध अधिवक्ता हैं, लेकिन Saurabh Mishra का स्वभाव हमेशा सरल, विनम्र और आत्मीय रहा है। उनकी मित्रता बड़े-बड़े अधिकारियों और जजों से है, लेकिन आम आदमी से भी वे उतनी ही आत्मीयता से बात करते हैं। उनके लिए न्याय सिर्फ पेशा नहीं, एक मिशन है।

हर कोई इनसे मिलना चाहता है, हर कोई इनसे बात करना चाहता है

आज Saurabh Mishra उन चंद नामों में से हैं, जिनके पास केवल केस नहीं, बल्कि समाज को बदलने का विज़न है। वे कई युवाओं के मार्गदर्शक हैं और बिहार के गांव-गांव से आने वाले जरूरतमंदों के लिए आशा की किरण हैं।

अंतिम शब्द

Saurabh Mishra का जीवन यह साबित करता है कि कठिन परिस्थितियाँ भी उस व्यक्ति को नहीं रोक सकतीं, जो अपने इरादों में सच्चा हो। उनका संघर्ष, उनकी साधना और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें न केवल एक सफल अधिवक्ता, बल्कि एक सच्चे मानवाधिकार योद्धा बनाती है।