श्री गंगानगर: पंजाब में बाबा रामदेव जी की फेरी के दौरान राजिंदर ऑलसिखा की पत्नी अंजू ऑलसिखा एक दर्दनाक सड़क हादसे का शिकार हो गईं। गंभीर हालत में उन्हें पहले सादुलसर मटीली के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर श्रीगंगानगर गवर्नमेंट हॉस्पिटल रेफर किया गया, लेकिन वहां इलाज शुरू नहीं हुआ। इसी बीच, एक सामाजिक संस्था के सदस्यों की मदद से ओम साईं हॉस्पिटल में उनका इलाज शुरू किया गया, जहां करीब 5 लाख रुपए से अधिक का खर्च आया। डॉक्टरों ने कहा था कि अंजू के बचने की संभावना महज 1% थी, लेकिन राजिंदर की दुआएं रंग लाई और अंजू ने नई जिंदगी पाई।
इस हादसे के बाद, राजिंदर ऑलसिखा ने समाज सेवा का संकल्प लिया और “भगत सिंह रेस्क्यू टीम” का गठन किया। इस टीम के माध्यम से उन्होंने रक्तदान अभियान, लावारिस शवों के अंतिम संस्कार जैसे कई सराहनीय कार्य किए। राजिंदर का मानना है कि माता-पिता ही असली भगवान होते हैं, और उन्हें सबसे अधिक समर्थन अंजू के माता-पिता से मिला, जिनके साथ वे आज भी एक परिवार की तरह रहते हैं।
अंजू, जो अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं, सिंगर बनने का सपना देख रही हैं और फिलहाल अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं। एक्सीडेंट के बाद कुछ समय के लिए उनकी याददाश्त चली गई थी, लेकिन अब वे सामान्य जीवन जी रही हैं।
यह कहानी न केवल संघर्ष, आशा और हिम्मत की मिसाल है, बल्कि समाज सेवा और मानवता की सच्ची प्रेरणा भी देती है।